आज की ही सोच बस तू कल की ना फ़िक्र कर
जी भर के जी ले आज न जाने कैसा हो यह कल ।
तमन्ना ए – निशात में न आज तूँ यूं बरबाद कर कौन जाने क्या नया सा गुल खिला दे यह कल ।
भर सके तो भर ले पल तू ज़ामिन – ए – निशात से
कौन सा तूफ़ान – ए – आमद साथ लाये यह कल ।
है आज शहनशाह तू सल्तनत – ए – निशात चल
न जाने कोई जलजला फ़ना कर दे यह कल ।
रख सके तो ताअत – ओ – ज़ोहद तू, बचा के रख ले यह कल
फिर जी आराम से ना फ़िक्र कर कैसा है यह कल ।।